बढ़ते तापमान को देखते हुए लू तापघात से करें बचाव – डॉ हेमन्त कुमार बिन्दल

राजसमंद, 15 अप्रेल। प्रदेश में बढ़ते तापमान को मध्येनजर रखते हुए गर्मी में लू – तापघात से बचाव एवं उचार के लिये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी की है। जिसको लेकर सीएमएचओ डॉ हेमन्त कुमार बिन्दल ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये है। आशा एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर -घर संपर्क के दौरान एवं ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समितियों की बैठक में लू – तापघात को लेकर आमजन को जागरूक करने के लिये निर्देशित किया है।
क्या है लू तापघात…………
सीएमएचओ डॉ हेमन्त कुमार बिन्दल ने बताया कि इस प्रचंड गर्मी के प्रकोप में लू से कोई भी बिमार हो सकता है। परन्तु विशेषकर कुपोषित बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलांए, धुप में कार्यरत श्रमिक, यात्री, खिलाड़ीयो के अधिक बिमार होने की संभावना होती है। अत्यधिक गर्मी से शरीर में लवण व पानी की मात्रा अपर्याप्त हो जाती है जिससे लू – तापघात नामक बिमारी हो जाती है।
ये लक्षण नजर आये तो करें तुरंत करे बचाव………..

सीएमएचओ ने बताया कि लू तापघात के लक्षण सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना, शरीर का तापमान बढ़ना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सुखा होना है। समुचित उपचार के अभाव में लू तापघात के रोगी की मृत्यु भी संभव है। इसलिये बिमारी से बचाव के लिये बच्चो, गर्भवती महिलाओं, वृद्ध व श्रमिको को छायादार स्थानो पर रहना चाहिए।
तेज धुप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके, ठंडे जल को सेवन कर बाहर निकलना चाहिये। धुप में जाते समय छाते का उपयोग अथवा कपडे़ से सिर व बदन को ढ़कर कर रखना चाहिये। गर्मी के मौसम में सामान्यतः होने वाली लू तापघात बिमारी से ग्रस्त होने पर तुरंत उपचार देना चाहिये। अपने स्तर पर ही रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थान पर लिटाकर रोगी की त्वचा को गीले कपडे़ से स्पंज करते रहे, रोगी के कपडे़ ढिले कर ठंडा पानी पिलाकर तत्काल नजदीकी चिकित्सा संस्थान पर उपचार के लिये ले जाना चाहियें।
चिकित्सा संस्थानो के प्रभारीयो को दिये निर्देश
सीएमएचओ ने जिले के सभी चिकित्सा संस्थानो के चिकित्सा अधिकारी प्रभारीयों को निर्देशित किया है कि वे अपने संस्थानो पर वार्ड में दो चार बैड लू तापघात के रोगियों हेतु आरक्षित रखे। वार्ड का वातावरण कुलर व पंखे से ठंडा रखा जाये। चिकित्सा संस्थानो में मरीज एवं उनके परिजनो के लिये शुद्ध ठंडे पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें। लू – तापघात से ग्रस्त रोगियों के उपचार हेतु आवश्यक दवाईंयां तैयार रखी जावे। चिकित्सको एवं नर्सिंग स्टॉफ को सजग एवं सर्तक रखा जावे, प्रत्येक संस्थान पर रेपिड रेस्पोंस टीमो को सक्रीय किया जावे।