व्रज – आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा, शुक्रवार, 25 जून 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता :
- आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराजश्री का गादी उत्सव है.
- विक्रम संवत १९३२ में आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा के दिन आप तिलकायत की गादी पर आसीन हुए थे. आपने प्रभु सुखार्थ कई भव्य मनोरथों का आयोजन किया और नाथद्वारा की उत्तरोत्तर प्रगति के क्षेत्र में कई कार्य किये अतः आपका युग नाथद्वारा के लिए स्वर्णयुग कहा जाता है.
- सेवाक्रम : गादी उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को पूजन कर हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- झारीजी में सभी समय यमुनाजल भरा जाता है. दो समय की आरती थाली में की जाती है.
-आज का श्रृंगार निश्चित है. आज प्रभु को गुलाबी रंग की परधनी, श्रीमस्तक पर पाग एवं हीरा के आभरण धराये जाते हैं. - आज से कीर्तनों में सूहा, बिलावल एवं सायंकाल सोरठ राग भी गाये जाते हैं.
- गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में आज श्रीजी को विशेष रूप से आमरस की तवापूड़ी व दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में आमरस-भात अरोगाये जाते हैं. प्रभु को नियम से आमरस की तवापूड़ी वर्ष में केवल आज के दिन ही अरोगायी जाती है. - आज से सायंकाल भोग दर्शन के समय श्रीजी के सम्मुख मणिकोठा में पुष्पों पत्तियों से सुसज्जित फुलवारी धरी जाती है.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : - श्रीजी में आज श्री गिरिराजजी की कन्दरा की निकुंज एवं श्री स्वामिनीजी आदि के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को गुलाबी रंग की मलमल की परधनी धरायी जाती है. परधनी रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की ऊपर छोर व नीचे लटकन वाली पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम की रुपहली किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में हीरा की बघ्घी आती है व त्रवल नहीं धराये जाते.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- वहीं हीरे की एक सुन्दर माला हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : ललन पिया रस भरे आवत
- राजभोग : गायन सो रति गोकुल सो रति
- आरती : ललित ब्रज देश गिरिराज राजे
- शयन : धन धन हो हरिदास राई
- मान : आज सुहावनी रात
- पोढवे : पोढ़े हरी राधिका के गेह
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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