व्रज – कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी, बुधवार, 17 नवम्बर 2021
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में
कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा
सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की
आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :-
- साज सेवा में आज हरे रंग की ज़री की वस्त्रों के जैसी ही हांशिया वाली पिछवाई धरायी
जाती है. - गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर अंगीठी धरी जाती हैं, त्रष्टि धरे जाते है.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को हरी रंग की ज़री की चोली, घेरदार वागा एवं सूथन धराये
जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता है. - श्याम रंग के ठाडे वस्त्र धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो आज प्रभु को मध्य का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल-चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी
फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. - श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी व वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- खेल ले साज में पट हरा व गोटी मीना की आती है.
सायंकालीन सेवा :-
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते
हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराया जाता है. - श्रीजी की राग सेवा में आज से राजभोग सन्मुख अधिकतर आसावरी, टोडी, धनाश्री के पद
होते है
मंगला : भोर शिखर धरण भले
राजभोग : अखियन के भूखन गिरधर
आरती : गोविन्द गिर चढ़ टेरत गाय
शयन : पिय की बरत प्यारी
मान : उठ चल री पिय पहर
पोढवे : रुचिर रुचिर सेज बनाई - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं
शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है. - नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग
आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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