व्रज – चैत्र कृष्ण सप्तमी, गुरुवार, 24 मार्च 2022
श्री विशाल बावा के चि. श्री लाल गोविन्दजी (अधिराज बावा) के तृतीय जन्मदिन की तिलकायत परिवार को ख़ूबख़ूब बधाई
सेवाक्रम : श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को पूजन कर हल्दी से मांडा जाता हैं. आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं. आज प्रभु को चेती गुलाब की छड़ी गेंद बसंत वत विशेष धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में चेती गुलाब की छड़ी धरायी जाती हैं.
आज राजभोग में चैत्री-गुलाब की छज्जे वाली बड़ी फूल मंडली आती हैं. आज पुरे दिन श्रीजी के सम्मुख खिरक विराजे. आज गोविंद शब्द वाले कीर्तन गाए जाते हैं.
श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनमनोहर (केशर बूंदी) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी और चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में बड़े टुक पाटिया व छह-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात व नारंगी भात) अरोगाये जाते हैं. भोग में फीका की जगह चालनी अरोगायी जाती हैं.
श्रीजी दर्शन :
साज : आज श्रीजी में गौचारण के भाव की सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाएगी. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र : आज श्रीजी को लाल सलीदार ज़री के सुनहरी एवं रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली के चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार : आज प्रभु को मध्य का श्रृंगार धराया जाता है. हीरे व पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग के दुमाला के ऊपर हीरा का सिरपैंच, सुनहरी भीमसेनी कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
आज चोटीजी नहीं धराई जाती हैं.
कंठला एवं उत्सव की पन्ना की मालाये धरायी जाती है. हास की जगह पन्ना को कंठा एवं हीरा का त्रवल धराया जाता हैं. एक कली का हार एवं कमल माला धरायी जाती हैं.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. हीरा की मुठ के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं. पट लाल का एवं गोटी सोना की बाघ बकरी की आती हैं. आरसी बावा साहब वाली काँच के टुकड़ों की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर दुमाला रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज गोविंद शब्द वाले कीर्तन गाए जाते हैं.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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