व्रज – चैत्र शुक्ल चतुर्थी, मंगलवार, 05 अप्रैल 2022
आज द्वितीय हरी गणगौर
- आज की गणगौर चन्द्रावलीजी के भाव की है अतः श्रीजी को नियम के पंचरंगी लहरिया वस्त्र धराये जाते हैं
- श्रीजी को रात्रि के अनोसर में श्रीजी को सूखे मेवे (बादाम, पिस्ता, काजू, किशमिश, चिरोंजी आदि), खसखस, मिश्री की मिठाई के खिलौने, ख़ासा भण्डार में सिद्ध मेवा-मिश्री के लड्डू, माखन-मिश्री आदि थाल में साज कर अरोगाये जाते है
- श्रीनाथजी मंदिर स्थित श्री महा प्रभुजी की बैठक में ईशरजी व गणगौर की सुसज्जित प्रतिमाओं का पूजन किया जाता है
- श्री लाडिलेलाल अपने निजजनों के साथ गणगौर मनाने अतुलित कृपा कर के मोतीमहल के चौक में हरी गणगौर के दिन दिनांक 5 अप्रेल 2022 को हरी गणगौर की सवारी का मनोरथ अंगीकार करने पधारेंगे
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में एक ओर श्रीकृष्ण एवं दूसरी ओर श्रीबलरामजी के साथ घूमर नृत्य करती व्रजललनाओं (गोपियों) और गणगौर के सुन्दर चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र :
- आज श्रीजी को पंचरंगी लहरिया का सूथन, चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं, सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं
- ठाड़े वस्त्र सफ़ेद डोरिया के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर पंचरंगी लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, पन्ना की सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में पन्ना के दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीकंठ में त्रवल के स्थान पर पन्ना का कंठा धराया जाता है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं
- श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ पन्ना की मिलवा धराई जाती है
- पट हरा व गोटी लहरिया की आती है
- आरसी उत्सव वत दिखाई जाती है
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं, श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराया जाता है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: ढीले ढीले पग धरत ढीली पाग
- श्रृंगार: लटपटी पाग के पेंच संवारो
- राजभोग: बैठे हरी राधा संग
- भोग: कौन गौर ते पूजी राधे
- आरती: चल सखी चल अहों ब्रज पेठ लगी
- शयन: चलो क्यों न देखेरी खरे दोऊ
- पोढवे: पोढ़े हरि राधिका के संग
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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