राजसमन्द(दिव्य शंखनाद)। श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में मंगलवार को जगतगुरु श्रीमद् वल्लभाचार्य जी महाप्रभु जी का 445 वा प्राकट्य उत्सव पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया।
इस मौके पर श्री महाप्रभुजी की पादुकाजी का पंचामृत स्नान करवाया गया। वहीं श्रृंगार में तृतीय पीठाधीश्वर महाराज बृजेश कुमार की आज्ञा से प्रभु श्री द्वारकाधीश को श्री मस्तक पर बड़े साझ की केसरी कुले जिस पर 11 चंद्रिका का सादा जोड़, केसरी खुले बंद का वागा जो बंदे बंद के धरे, लाल कटी का पटका हीरा पन्ना माणक के 2 जोड़ी के श्रृंगार, श्वेत महीन ठाड़े वस्त्र चरण चौकी, वनमाला धराई गई। तत्पश्चात राजभोग के दर्शन से पूर्व द्वारकेश गार्ड मंदिर के सुरक्षा अधिकारी लक्ष्मी लाल के नेतृत्व में द्वारकेश बैंड की सुमधुर धुनों पर विट्ठल विलास बाग से परेड करते हुए द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे।
यहां गोवर्धन चौक में मंदिर अधिकारी भगवती लाल पालीवाल कार्यकारी अधिकारी विनीत सनाढ्य व सहायक अधिकारी गणेशलाल साचीहर ने परेड की सलामी ली तत्पश्चात राजभोग के दर्शन में प्रभु द्वारकाधीश के सम्मुख मंदिर पुरोहित पंडित बिंदुलाल शर्मा द्वारा पंचांग का वाचन किया गया।
इस मौके पर द्वारकाधीश प्रभु के कीर्तन कार प्रमोद कुमार चारण द्वारा प्रभु को बधाई के पद सुनाए गए। भोग आरती दर्शन के पश्चात द्वारकाधीश मंदिर से एक शोभायात्रा निकाली गई शोभायात्रा में द्वारकाधीश मंदिर का ध्वज निशान घोड़े द्वारकेश बैंड महिलाएं वह वैष्णव जन चल रहे थे इस मौके पर शोभायात्रा में द्वारकाधीश मंदिर के कर्मचारी भी उपस्थित रहे यह शोभायात्रा द्वारकाधीश मंदिर से शुरू होकर रेती मोहल्ला ,नया दरवाजा, सब्जी मंडी, नया बाजार, मालनीया चौक होते हुए द्वारकाधीश मंदिर पहुंची यहां गोवर्धन चौक में महिलाओं ने द्वारकेश बैंड की धुनों पर जमकर नृत्य कर महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के प्राकट्य उत्सव पर अपनी भावनाओं को प्रकट किया।