व्रज : वैशाख शुक्ल एकम, रविवार, 01 मई 2022
आज के वस्त्र तृतीय पीठ कांकरौली श्री द्वारिकाधीश मंदिर की तरफ़ से आते हैं.
- आज के पश्चात मुकुट-काछनी का श्रृंगार लगभग दो माह दस दिन पश्चात आषाढ़ शुक्ल एकादशी को धराया जायेगा
- प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है
- धिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में मुकुट नहीं धराया जाता इस कारण देव-प्रबोधिनी से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी का पाटोत्सव) तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक मुकुट नहीं धराया जाता
- जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है. काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है
- जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं. ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं
- जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है
- आज संभवतया श्रीजी के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी अंतिम बार धरायी जाती है. कल से प्रभु के श्रीहस्त में कमल-छड़ी धरायी जायेगी
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- स्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल के धराये जाते है. जिनमे सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी के धराये जाते हैं
- चोली नहीं धरायी जाती
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर स्वर्ण का डांख का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- बायीं ओर उत्सव की मोती मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है
- श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के लहरिया के के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना की धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी शतरंज के पधराये जाते है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: नन्द सदन गुरुजन की भीर
- राजभोग: कुञ्ज भवन ते निकसे राधा
- आरती: देखन न देत वेरन भई पलकें
- शयन: चलो क्यों न देखें री खरे
- मान : आपुन चलिए जू लालन
- पोढवे: प्रेम के पर्यंक पोढे
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
……………………..
जय श्री कृष्ण
………………………
https://www.youtube.com/c/DIVYASHANKHNAAD
……………………….