व्रज : वैशाख शुक्ल द्वितीया, सोमवार, 02 मई 2022
यह नियम के श्रृंगार है
- कल अक्षय-तृतीया है और आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है. अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल-पीले वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है
- इसे आगम का श्रृंगार कहा जाता है और यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है
- इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं अर्थात गत वैशाख कृष्ण नवमी को श्री महाप्रभुजी के उत्सव के पूर्व के इस श्रृंगार में तत्कालीन ऋतु के अनुरूप घेरदार वागा धराये गए थे और वैशाख कृष्ण द्वादशी से सामान्यतया शीतकालीन वस्त्र अर्थात घेरदार, चाकदार एवं खुलेबंद के वागा नहीं धराये जाते
- अतः आज प्रभु को लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जायेगा
- कल अक्षय तृतीया है और चन्दन यात्रा का आरम्भ होगा. श्रीजी में सेवाक्रम में भी कई परिवर्तन होंगे
- सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी, वेणुजी, वेत्रजी आदि स्वर्ण के प्रभु के सम्मुख इस ऋतु में आज अंतिम बार धरे जाते हैं अर्थात कल से सर्व-साज चांदी के साजे जायेंगे
- आज से श्रीजी के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी के स्थान पर कमल छड़ी धरायी जाएगी. विगत कल प्रतिपदा को शयन समय चंदुआ एवं टेरा सफ़ेद बांधे जाते हैं
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल मलमल के वस्त्र धराये जाते है. जिसमे आज पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल मलमल की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीकंठ में पन्ना की चार माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना की धराई जाती है
- आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती है
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी स्वर्ण की पधरायी जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: गोकुल की पनिहारी
- राजभोग: आज की बानक कही न जाय
- आरती: सुन मुरली की टेर
- शयन: अरी हों तो या मग निकसी आय
- पोढवे: पोढीये लाल लाडली संग
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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