राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में मंगल वार को अक्षय तृतीया का पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया।
इस मौके पर श्रृंगार में तृतीय पीठाधीश्वर गोस्वामी बृजेश कुमार महाराज की आज्ञा से प्रभु श्री द्वारिकाधीश को श्री मस्तक पर श्वेत केसर के छाटा की छोटी कुले, जिस पर पांच चंद्रिका का सादा जेाड, केसर कि जोड़ को बडो पिछेाड़ा, मोती के आभरण अरग जाई ठाड़े वस्त्र, वनमाला धराई गई तत्पश्चात राजभोग के दर्शन से पूर्व ठाकुर जी को चंदन धराया गया।
जिसमें प्रभु द्वारकाधीश को चंदन की सेवा पधराई गई वहीं प्रभु के सम्मुख फव्वारे की सेवा प्रारंभ हुई आरती के समय आज से जल का छिड़काव भी आरंभ हो गया। गौरतलब है कि अक्षय तृतीया से प्रभु को उष्ण कालीन सेवा आरंभ हो जाती है। अर्थात प्रभु के सम्मुख शीतल वस्तुओं का आगमन ज्यादा होता है। आज से ही प्रभु के पंखा की सेवा आरंभ हुई वहीं प्रभु को कीर्तनकार द्वारा उष्ण कालीन कीर्तन व राग प्रभु को सुनाई गई।
उक्त अवसर पर आज से प्रभु के सम्मुख राजभोग के दर्शन के पश्चात खसखस की टाटी लगना भी आरंभ हो गया।