व्रज : ज्येष्ठ कृष्ण तृतीया, बुधवार, 18 मई 2022
आज का श्रृंगार और विशेषताएं
- आज प्रभु को नियम से बिना किनारी के श्वेत वस्त्र और साज धराये जाते हैं
- आज ऊष्णकाल में प्रथम बार श्रृंगार में आड़बंद धराया जाता है
- आने वाले दिनों में प्रभु को आड़बंद, परधनी, धोती-पटका और पिछोड़ा आदि वस्त्र ही धराये जायेंगे।
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज श्वेत रंग की मलमल की बिना किनारी की पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी छोटी हकीक की पधराये जाते है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को श्वेत मलमल का बिना किनारी का आड़बंद धराया जाता है
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- लड़ के श्रृंगार व दो लड़ की बद्दी धरायी जाती है
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग के श्याम झाईं वाले फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख के दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- एक श्वेत एवं एक कमल के पुष्पों की माला हमेल की भांति धरायी जाती हैं
- पीठिकाजी पर गुलाब के पुष्पों की एक मोती माला जी धराई जाती है
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमनी अर्थात स्वर्ण व रजत के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: अधम उधारनी में जानी
- राजभोग: चन्दन की खोर किये
- आरती: बैठे घनश्याम सुन्दर
- शयन: धीर समीरे यमुना तीरे
- मान: उठ चल देख राधिका प्यारी
- पोढवे: नवल किशोर नवल नागरी
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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