व्रज – आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी द्वितीय, मंगलवार, 28 जून 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- आज श्रीजी में चन्दनी मलमल रुपहरी किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है,
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकल का और गोटी हकीक की पधरायी जाती है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को चन्दनी मलमल का आड़बंद धराया जाता है
- यह वस्त्र रुपहरी किनारी से सजा होता है परन्तु किनारी दृश्यमान नहीं होती है
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) छेडान का ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर चन्दनी छज्जेदार पाग, सिरपेच, जमाव का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी वाले वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: प्रीतम प्रीत ते बस कीनो
- राजभोग: देखो ढरकन नवरंग पाग की
- आरती: मेरे री बगर में आवत श्याम
- शयन: ऐ जर जाओ री लाज
- मान: तेरी भ्रोंह की मरोरन ते
- पोढवे: पोढ़ीये लाल लाडली संग
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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