व्रज – श्रावण कृष्ण तेरस, मंगलवार, 26 जुलाई 2022
आज की विशेषता: आज श्रीजी के वस्त्र तृतीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री द्वारिकाधीशजी मंदिर कांकरोली के घर से सिद्ध हो कर आते हैं
- आज वर्तमान द्वितीय पीठाधीश गौस्वामी श्री कल्याणरायजी (श्री विट्ठलनाथजी, नाथद्वारा) का जन्मदिवस हैं. इस अवसर पर वहां से भी श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु बूंदी के लड्डुओं की भी छाब आती है
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज श्री महाप्रभुजी, श्री गुसांईजी, अन्य सात बालक एवं हिंडोलने के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- इस पिछवाई में स्वर्ण हिंडोलने का सुन्दर चित्रांकन इस प्रकार किया गया है कि श्री महाप्रभुजी श्रीजी को हिंडोलना झुला रहें हो ऐसा आभास होता है. श्री गुसाईजी एवं अन्य सात बालक श्रीजी की सेवा में खड़े हैं
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी मीना की पधरायी जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल जिसे कसुमल रंग भी कहते है की मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है
- दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सजे होते हैं
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को आज छेडान का अर्थात छोटा कमर तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं, कमल माला भी आज धराई जाती है
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला: नीके आज लागत लाल सुहाये
- राजभोग: जन्म सुत को होत ही आनंद भयो, देखो माई
- हिंडोरा: (नट के 4 पद)
- झुलत नवरंग संग, सुरंग हिंडोरना माई,
- मुदित झुलावत, राधा के संग सुभग गिरवर
- शयन: लाल मुनिन के झुंडन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सायंकाल में श्रीजी के सम्मुख डोलतिबारी में श्री मदनमोहन जी फुल-पत्ती के हिंडोलने में झूलते हैं. श्री मदनमोहनजी के सभी वस्त्र एवं श्रृंगार श्रीजी को धराये आज के श्रृंगार जैसे ही होते हैं
- आज संध्या भोग के दर्शन में श्री नवनीत प्रियाजी भी मंदिर चौक में फुल-पत्ती के हिंडोलने में झूलते हैं
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जय श्री कृष्ण
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