व्रज – श्रावण शुक्ल दशमी, रविवार, 7 अगस्त 2022
आगम के श्रृंगार के बारे में विशेष:
- आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा
- सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व यह श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा के तहत श्रीजी में आज वस्त्रों के जैसी ही लाल रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में पट लाल, गोटी छोटी सोने की आती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा अर्थात कमर तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण पन्ना एवं सोने धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल के दो जोड़ी धराये जाते हैं
- आज कमल माला धरायी जाती हैं
- श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में सोना की दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला: सोहेलरा नन्दमहर
- राजभोग: आज की शोभा कहत न आवे, गावो गावो मंगलचार बधावो
- हिंडोरा: नट के पद
- सुरंग हिंडोरना हो माई, झुलत नव रंग संग,
- मुदित झुलावत, छबीले गोपाल झूलो
- शयन: झूले नागरी नागर दोऊ
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में पान के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं.
- श्री नवनीत प्रियाजी भी पान के हिंडोलने में विराजित होकर झूलते है.
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जय श्री कृष्ण
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