उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मेवाड़ के 56वें एकलिंग दीवान महाराणा कर्णसिंह जी की 439वीं जयंती मनाई गई। महाराणा कर्णसिंह जी का जन्म वि.सं.1640, श्रावण शुल्क द्वादशी (ई.सं. 1583) को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मंत्रोच्चारण के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर दीप प्रज्जवलित किया गया।
सिटी पैलेस भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों के लिए चित्र सहित ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा का गद्दीनशीनी वि.सं. 1676 माघ शुल्क द्वितीया (ई.सं. 1620) को हुई। महाराणा का कार्यकाल सभी प्रकार से शांति का रहा, मेवाड़ में लोग सुख और शान्ति से रहने लगे।
उन्होंने अपने कार्यकाल में उदयपुर के सिटी पैलेस में जनाना महल, रसोड़े का बड़ा महल, कर्ण विलास, तोरण पोल, सभा शिरोमणि, गणेश ड्योढी, दिलखुशाल महल की चौपाड़, चन्द्र महल, हस्तिशाला के नीचे का बड़ा दालान आदि बनवाये।
महाराणा ने राज्य व्यवस्था में कई आवश्यक सुधार किये और राज्य के अलग-अलग परगने स्थिर कर गांवों में पटेल, पटवारी और चौकीदार आदि नियत किये। उन्होंने अपनी प्रजा के लिये सुख-सुविधा के सभी प्रकार के प्रबन्ध किये। उनके इन सुधारों एवं उत्तम व्यवस्था से वह प्रजा जो पिछले युद्धों के कारण दूसरे राज्यों में चली गई थी, वो वापस आकर अपने-अपने गांवों में बसने लगे, जिससे राज्य में व्यापार और कृषि की बहुत उन्नति हुई और राज्य की आय दिन-दिन बढ़ती गई।