व्रज – भाद्रपद शुक्ल एकम, रविवार, 28 अगस्त 2022
आज की विशेषता: राधाष्टमी की झांझ की बधाई बैठे
- आज से राधाष्टमी की आठ दिवस की बधाई बैठेगी. आज से प्रतिदिन अष्ट सखियों का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है.
- इस भाव से आठ दिवस तक नित्य नूतन श्रृंगार, भोग और कीर्तनगान होता है.
- यहाँ उल्लेखनीय है कि पुष्टिमार्ग में राधाजी को श्रीस्वामनिजी स्वरुप मानते हुए प्रभु की अर्धांगिनी का जन्मोत्सव अष्टमी मनाया जाता है।
- श्री राधिकाजी प्रभु श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी हैं
- षोडश कलायुक्त प्रभु श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ जिसका अर्धांग श्रीराधा हैं.
- अतः आठ दिवस की बधाई बैठती है.
- श्री राधिकाजी की सखियाँ भी आठ है, इस भावना से आठ दिवस की झांझ की बधाई बैठती है
सेवाक्रम:
- उत्सव की बधाई बैठती है अतः आज श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से मांडा जाता हैं एवं आशापाल के पत्तों की सूत की डोरी से बनी वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज भोग विशेष कुछ नहीं पर राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज साज सेवा में आज केसरी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी-तकिया के ऊपर लाल एवं चरण चौकी के ऊपर सफेद बिछावट होती है.
- सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी आदि जड़ाव स्वर्ण के आते हैं.
- चांदी की त्रस्टीजी भी धरी जाती है.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को केसरी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम तथा मोती की गोल-चन्द्रिका क़तरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है
- हीरे-मोती की एक मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती है.
- गुलाब के पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट केसरी एवं गोटी मीना की धराई जाती हैं.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: बधाई है बरसाने आज
- राजभोग: आज वृषभान के आनंद
- आरती: मेरे मन आनंद भयो
- शयन: भादो की उजियारी
- पोढ़वे: गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
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जय श्री कृष्ण
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