व्रज – भादवा शुक्ल दूज, सोमवार, 29 अगस्त 2022
आज की विशेषता: आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज पंचरंगी (राजाशाही) लहरिया की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज लाल और गोटी चांदी की बाघ बकरी की पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज पंचरंगी (राजाशाही)लहरिया की मलमल का सुनहरी किनारी से सजा पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघ श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- कमल माला धरायी जाती हैं
- श्रीमस्तक पर राजाशाही लहरिया के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, कीच की चन्द्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फिरोजा के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी जिनमे एक स्वर्ण के होते है धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा: मंगला :
- मंगला : बरसाने बर सरोवर प्रगट्यो
- राजभोग : महारस पूरन प्रगट्यो आन
- आरती : मेरे मन आनंद भयो
- शयन : काम कल कनक बेल
- पोढवे : गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
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जय श्री कृष्ण
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