राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, राजसमन्द में लंबित एक दीवानी प्रकरण में राजीनामा के माध्यम से प्रकरण के निस्तारण हेतु पक्षकारों के बीच न्यायालय परिसर स्थित वैकल्पिक विवाद निस्तारण केन्द्र में मध्यस्थ श्री संतोष कुमार मित्तल, पारिवारिक न्यायाधीश द्वारा मध्यस्थता वार्ता की गई। जिसमें वादी एवं प्रतिवादी सहित कुल 07 पक्षकार उपस्थित रहे।
गोदपुत्र की घोषणा से संबंधित उक्त प्रकरण सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट, राजसमन्द द्वारा मध्यस्थता वार्ता हेतु एडीआर सेन्टर में प्रेषित किया गया। मध्यस्थ ने पक्षकारान में समझौता वार्ता कराई। जिसमें गोदपुत्र का चल-अचल संपत्तियों में हक, अधिकार, स्वत्व रहने अथवा नहीं रहने के संबंध में उपस्थित पक्षकारान के मध्य राजीनामा कराया गया। इस प्रकार दोनो पक्षों की आपसी समझाईश द्वारा संपति विवाद के प्रकरण का निस्तारण मध्यस्थता के माध्यम से किया गया।
सचिव मनीष कुमार वैष्णव ने उपस्थित पक्षकारों को बताया कि मध्यस्थ्ता एक ऐसी सहज एवं सरल प्रक्रिया है, जिसमें मध्यस्थ मामले के दोनो पक्षकारों से वार्ता करके दोनो पक्षकारों के मध्य उत्पन्न विवाद को पक्षकारों की सहमति से निर्णीत करवाने का प्रयास करते है, ताकि विवाद का पूर्ण एवं अंतिम रूप से समाधान हो जाए तथा विवाद के संबंध में अन्य न्यायालयों में अपील की कार्यवाही नहीं करनी पडे। मध्यस्थता प्रक्रिया में समय की बचत, गोपनीयता, सहज एवं सरल प्रक्रिया होती है। कोई भी पक्षकार राजीनामा योग्य प्रकरण में मध्यस्थता कार्यवाही अपनाना चाहता है तो वह संबंधित न्यायालय में मौखिक अथवा लिखित रूप से प्रकरण को मध्यस्थता हेतु रैफर करवा सकता है।