नाथद्वारा(दिव्य शंखनाद)। हिंदी लाओ देश बचाओ समारोह 2022 का शुभारंभ प्रातः देशभर के सहित्यकारों व विद्यालयी छात्र-छात्राओं की नगर परिक्रमा से हुआ। हाठों में पट्टिकाएं लिए बेंड बाजों की मधुर ध्वनि के साथ गगनभेदी उद्घोषों से माँ हिंदी का महिमा गान किया गया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जनार्दन रॉय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. बलवंत शांतिलाल जानी, राजकोट, गुजरात ने की। मुख्य अतिथि जनार्दन रॉय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सारंग देवोत रहे। श्रीमती बीना जैन दीप सेशन जज भीलवाड़ा, वरिष्ठ साहित्यकार अमरसिंह वधान, डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण, विनय कुमार पाठक, पंडित मदनमोहन शर्मा अविचल विशिष्ट अतिथि रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ वीणापाणि, प्रभु श्रीनाथजी व कीर्तिशेष श्रद्धेय बाबूजी भगवती प्रसाद जी देवपुरा के चित्र के पूजन माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। श्री हरिओम हरि ने सरस्वती वंदना की। श्रीनाथ वंदना और ब्रज वंदना श्री विट्ठल पारीक ने की। सभी अतिथियों का शॉल व उत्तरीय से स्वागत अभिनंदन किया गया।
दिल्ली से आई कत्थक नृत्यांगना डॉ. समीक्षा शर्मा और उनके शिष्य श्री प्रदीप, श्री मनप्रीत, श्री सुमित ने कत्थक के तोड़े, ठुमरी व शिव आराधन की सुंदर प्रस्तुति दी गई। इनकी नृत्य प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। दर्शकों ने आकाश भर तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। श्री हरिलाल मिलन द्वारा रचित हिंदी भाषा गान का सामूहिक गायन किया गया।
’द्वितीय दिवस’
हिंदी लाओ देश बचाओ समारोह 2022 के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र की अध्यक्षता फिरोजाबाद से आए डॉ. रामसनेही लाल शर्मा श्यायावरश् ने की। डॉ. विजय कुमार वेदालंकार, सोनीपत मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो डॉ. हेमराज मीणा, डॉ. राहुल, डॉ. संतोष यादव, श्री गोपाल गुप्ताए डॉ. जितेंद्र सिंह जी व पंडित मदन मोहन शर्मा अविचल जी विशिष्ट अतिथि रहे।
मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ शारदा, विघ्नहर्ता गणेश जी, प्रभु श्रीनाथजी व श्रद्धेय बाबूजी के चित्रों पर माल्यार्पण, दीप प्रज्जवलन तथा पूजन अर्चन से सत्र का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना व ब्रज वंदना श्री विट्ठल पारीक ने तथा श्रीनाथ जी की वंदना श्री हरिओम हरि ने की हिंदी उपनिषद के अंतर्गत डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने भारतीय सांस्कृतिक चेतना की प्रतीक हिंदीष, विषय पर और डॉ. शुभदा पाण्डेय ने पर्यावरण चेतना एवं हिंदी विषय पर आलेख वाचन किया।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती संतोष यादव ने अपने उद्बोधन में सहित्यमण्डल के कार्यकलापों की चर्चा करते हुए कहा श्रद्धेय भगवती प्रसाद देवपुरा जी हिंदी विकास परम्परा के हनुमान हैं। या हम कह सकते हैं कि बाबूजी हिंदी के चाणक्य हैं। उन्होंने पर्यावरण की चर्चा करते हुए कहा कि हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए चाणक्य बनना होगा। गोपाल गुप्ता ने अपने वक्तव्य में इस समारोह पर विस्तृत चर्चा की तथा यहाँ दिए गए वक्तव्यों को केंद्र में रखते हुए अपनी बात कही।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ अमरसिंह वधान ने की। डॉ. उदय प्रताप सिंह का मुख्य आतिथ्य व डॉ. सुरेश माहेश्वरी, श्री सुरेश सार्थकए डॉ. प्रणव शास्त्री, प्रो राखी उपाध्याय, प्रो. वागीश दिनकर का विशिष्ट आतिथ्य रहा।
’तृतीय दिवस’
अंतिम एवं तृतीय दिवस के प्रथम और समारोह का अंतिम सत्र हिंदी साहित्य में विकलांग विमर्श पर केंद्रित रहा। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. शारदा प्रसादए मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठकए विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, श्री राघवेंद्र दुबे, डॉ. विजय कुमार वेदालंकार, डॉ. अमर सिंह वधान, श्री श्यामप्रकाश देवपुरा, श्री सत्यनारायण व्यास ‘मधुप’ रहे। श्री सुरेश माहेश्वरी ने बीज वक्तव्य दिया, द्वितीय सत्र में आलेख वाचन का कार्यक्रम हुआ जिसके अंतर्गत डॉ. गीता रामचंद्र दोड़मणि, श्री बजरंग बली शर्मा, श्री सचिन शर्मा, डॉ. विश्वनाथ कश्यप ने आलेख वाचन किया। संचालन डॉ. आनंद कश्यप व डॉ. अशोक अभिषेख् ने किया। सभी विद्वानों ने अपने विचार रखे। श्री दयानंद गोपाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।