व्रज – आश्विन कृष्ण नवमी, सोमवार, 19 सितम्बर 2022
आज की विशेषता: आज कदम्ब-खंडी के दान का भाव है.
- आज श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री के बहूजी एवं वर्तमान तिलकायत पूज्य गौस्वामी श्री राकेशजी महाराज की मातृचरण श्री विजयलक्ष्मी बहूजी का उत्सव है.
- श्रीजी को दान का छठा व नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
- तिलकायत परिवार की ओर से महादान की सामग्री अरोगायी जाती है.
- साज
- साज सेवा मे आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज के समस्त परिवारजनों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरी जाती है जिसमें स्वयं श्री गोविन्दलालजी महाराज बायीं ओर खड़े आरती कर रहे हैं और दायीं ओर क्रमशः नित्यलीलास्थ श्री राजीवजी (दाऊबावा), चिरंजीवी श्री विशालबावा, वर्तमान गौस्वामी तिलकायत श्री राकेशजी महाराज एवं उनकी माता श्री विजयलक्ष्मी बहूजी खड़ीं हैं. बायीं ओर विराजित स्वरूपों में बाएं से दूसरे श्री राजेश्वरीजी बहूजी (वर्तमान गौस्वामी तिलकायत श्री राकेश जी महाराज श्री के बहूजी) हैं.
- गादी, तकिया व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल और गोटी मोर की पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल चोफुली चूंदड़ी की मलमल पर रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी तथा रास-पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र सफेद भातवार के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को वनमाला चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ा का मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: ढोटा काहे को बढ़ावत रार
- राजभोग: जमुना घाट रोकी हो रसिक
- आरती: किरत कुल मंडन गाइए
- शयन: गर्व गहेली गुजरिया
- मान: नवल कुञ्ज नवल मृग नैनी
- पोढवे: चांपत चरण मोहन लाल
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- श्रीजी मंदिर में आज संध्या-आरती पश्चात नन्दगाँव और बरसाना की सांझी मांडी जाती है.
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जय श्री कृष्ण
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