व्रज – आश्विन कृष्ण दशमी, मंगलवार, 20 सितम्बर 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है: ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
- साज
- श्रीजी में आज श्याम पीली चुंदड़ी की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया पर सफ़ेद व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट श्याम और गोटी चांदी की पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज श्याम पीली चुंदड़ी की मलमल का सुनहरी पठानी किनारी से सजा पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्याम पीली चुंदड़ी की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम कतरा चंद्रिका वह बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: हों जो गयी ब्रज में दधि बेचन
- राजभोग: देरी हमारो सूधो दान
- आरती: किरत कुल मंडन
- शयन: दिन दिन आय गई
- मान: तुम पोढो हों सेज
- पोढवे: तू चल मेरो मान राख
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- श्रीजी मंदिर में आज संध्या-आरती पश्चात कमल चौक स्थित हाथी पोल की देहलीज पर ब्रज लीला के तहत गिरघाट, श्री बैठकजी, चीरहरण लीला की सांझी मांडी जाती है.
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जय श्री कृष्ण
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