राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। देलवाड़ा ब्लॉक के नेड़च गांव निवासी लक्ष्मण भील की पत्नी मनोहरी गर्भवती हुई तो परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन कूछ समय बाद चिकित्सकीय जांच के बाद गर्भ के 7 वे माह में ही समय पूर्व प्रसव होने तथा उसमें संभावित खतरो तथा प्रसव किसी बडे़ हॉस्पीटल में ही करवाने के बारे में डॉक्टर ने बताया तो यह गरीब परिवार सदमें में आ गया।
लेकिन मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना देवदूत बन कर आई और प्राईवेट हॉस्पीटल में मुफ्त में मिली गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं ने अबोध शिशु की जान बचा ली। लक्ष्मण एक बार तो बड़े हॉस्पीटल में होने वाले खर्च से घबरा गया लेकिन अगले ही पल उसको मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का खयाल आया और वह जनआधार कार्ड लेकर देलवाड़ा स्थित एक बड़े प्राईवेट हॉस्पीटल पहुंचा। जहां चिरंजीवी हेल्प डेस्क पर उसे बताया गया चिंता की कोई बात नही डिलीवरी और आगे के उपचार पर होने वाला खर्च पूरी तरह मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में कैशलेस हो जायेगा।
लक्ष्मण ने बताया की वह गांव के नजदीक ही एक माईंस में दिहाड़ी मजदूरी करता है। जहां दिन भर मेहनत करने के बाद तीन सौ रूपयें मिलते है। उसके पहले ही दो बेटीयां और एक बच्चा है, इसलिये परिवार का भरण पोषण भी बड़ी मुश्कील से हो पाता है। ऐसे में विशेषज्ञो की देखरेख में सुरक्षित प्रसव करवाना उसके बूते के बाहर था। चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की बदौलत पत्नी मनोहरी का सुरक्षित सिजेरीयन प्रसव हो गया लेकिन बच्चा अभी नियोनेटल केयर यूनिट में भर्ती है।
प्राईवेट हॉस्पीटल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रसुन भट्टाचार्य, डॉ. कपिल श्रीमाली, डॉ. पंजक एवं डॉ. गौरव की टीम द्वारा मनोहरी की डिलीवरी होते ही बच्चे को नियोनेटल आईसीयू में भर्ती किया तथा इस टीम द्वारा पिछले तीन सप्ताह से बच्चे की क्रिटीकल केयर की जा रही है। डॉक्टर्स की टीम ने बताया की बच्चे को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से ग्रस्त था। जिसके कारण शिशु के फेफड़े पर्याप्त ऑक्सीजन अवशोषित नही कर पा रहे थे इसलिये वेंटिलेटर पर रखा गया अब वेंटिलेटर से भी शिशु को हटा दिया गया है, शिशु को मां दूध दिया जा रहा है, शिशु के वजन में भी पर्याप्त सूधार देखा जा रहा है। शिशु नियोनेटल आईसीयू से बाहर आ गया है तथा वह अब खतरे से पूरी तरह बाहर है।
शिशु के स्वस्थ होने के बाद लक्ष्मण भील और उसकी पत्नी मनोहरी भगवान की कृपा अनुभुती कर रहे है तथा मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना को किसी देवदूत से कम नही बता रहे जिसने बिना किसी खर्च के उनके बच्चे जान बचाई है। योजना के तहत अब तक 1 लाख रूपयें की राशि का वहन किया गया है।