उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। मेवाड़ के 58वें एकलिंग दीवान महाराणा राजसिंह जी प्रथम की 393वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा राजसिंह का जन्म वि.सं.1686, कार्तिक कृष्ण द्वितीया (वर्ष 1629) को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया महाराणा राजसिंह जी की गद्दीनशीनी वि.सं. 1709 कार्तिक वदि चतुर्थी (वर्ष 1652) को हुई। महाराणा राजसिंह ने अपने जीवनकाल में कई तालाबों का निर्माण करवाया, जिनमें मेवाड़ की राजसमन्द झील विश्व विख्यात रही हैं। महाराणा राजसिंह बड़े ही दानी राजा थे। उनकी दान उद्धरणों से उनके स्वभाव की उदारता और धार्मिकता का परिचय प्राप्त होता है। उन्होंने अपनी माता की याद में जना सागर (बड़ी तालाब) का निर्माण करवाया था। यहीं नहीं इन महाराणा ने इन तालाबों के निर्माण के बाद वहां कई दान-पुण्य, यज्ञ, हवन, तुलादान आदि सम्पन्न करवाये।
महाराणा ने अपनी रानियों और पुत्रों से भी अनेक अवसरों पर भिन्न-भिन्न तरह के तुलादान करवायें। उन्होंने अनेक धार्मिक यात्राएं की, जहां तीर्थस्थ्लों में विपुल मात्रा में दान-दक्षिणाएं दी। इन दान राशियों का उपयोग कई जन-कल्याणकारी कार्यों में होता था उन्हीं के सौभाग्य से वैष्णव सम्प्रदाय के श्रीनाथजी, द्वारकाधीशजी, विठ्ठलनाथजी मेवाड़ पधारे।