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श्रीजी के आज मुकुट काछनी श्रृंगार में दर्शन

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
12/05/2021
in श्रीनाथजी दर्शन
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श्रीजी के आज मुकुट काछनी श्रृंगार में दर्शन
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व्रज : वैशाख शुक्ल एकम
बुधवार, 12 मई 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता :
आज इस ऋतू का आखिरी मुकुट काछनी का श्रृंगार धराया जाता है. आज के पश्चात मुकुट-काछनी का श्रृंगार लगभग दो माह दस दिन पश्चात आषाढ़ शुक्ल एकादशी को धराया जायेगा. आज के वस्त्र तृतीय पीठ कांकरौली श्री द्वारिकाधीश मंदिर की तरफ़ से आते हैं.

  • प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.
  • अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी के दिनों में मुकुट नहीं धराया जाता इस कारण देव-प्रबोधिनी से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (श्रीजी का पाटोत्सव) तक एवं अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक मुकुट नहीं धराया जाता.
  • जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है. काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है.
  • जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं. ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं.
  • जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है.
  • आज संभवतया श्रीजी के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी अंतिम बार धरायी जाती है. कल से प्रभु के श्रीहस्त में कमल-छड़ी धरायी जायेगी.
    आज के श्रीजी दर्शन :
    श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
  • सबसे पहले श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
  • अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
  • गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
  • दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
  • सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
  • खेल के साज में आज पट लाल और गोटी शतरंज के पधराये जाते है.
    श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन :
  • वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल के धराये जाते है. जिनमे सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराये जाते हैं. चोली नहीं धरायी जाती.
  • ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी के धराये जाते हैं.
    श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन :
  • आज श्रीजी को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है.
  • कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
  • श्रीमस्तक पर स्वर्ण का डांख का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
  • श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
  • बायीं ओर उत्सव की मोती मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
  • श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
  • श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
  • श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के लहरिया के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
  • प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
  • आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
    श्रीजी की राग सेवा :
  • मंगला : नन्द सदन गुरुजन की भीर
  • राजभोग : कुञ्ज भवन ते निकसे राधा
  • आरती : देखन न देत वेरन भई पलकें
  • शयन : चलो क्यों न देखें री खरे
  • मान : आपुन चलिए जू लालन
  • पोढवे : प्रेम के पर्यंक पोढे
    भोग सेवा दर्शन :
  • श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
  • मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में श्रीजी की आरती की जाती है.
  • श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
    ……………………….
    जय श्री कृष्ण
    ……………………….
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Tags: darshandivyashankhnaadnathdwaranathdwara templeshreenathjishrinathjishrinathji nity darshan
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