व्रज – पौष कृष्ण अष्टमी, शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022
आज श्रीनाथजी में प्रभुचरण श्री गुसांईजी के उत्सव के आगम का श्रृंगार
- विशेष : कल प्रभुचरण श्री गुसांईजी का प्राकट्योत्सव है अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है.लगभग सभी बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है और इसे उत्सव के आगम का श्रृंगार कहा जाता है.
- आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
- आज से प्रतिदिन श्रीजी को शयन उपरांत अनोसर भोग में एवं कल अर्थात नवमी से राजभोग उपरांत अनोसर भोग में शाकघर में सिद्ध सौभाग्य सूंठ अरोगायी जानी आरंभ हो जाएगी.
- केशर, कस्तूरी, सौंठ, अम्बर, बरास, जाविन्त्री, जायफल, स्वर्ण वर्क, विविध सूखे मेवों, घी व मावे सहित 29 मसालों से निर्मित सौभाग्य-सूंठ के बारे में कहा जाता है कि इसे खाने वाला व्यक्ति अत्यन्त सौभाग्यशाली होता है.
- आयुर्वेद में भी शीत एवं वात जन्य रोगों में इसके औषधीय गुणों का वर्णन किया गया है अतः विभिन्न शीत एवं वात जन्य रोगों, दमा, जोड़ों के दर्द में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
- नाथद्वारा के श्रीजी मंदिर में निर्मित इस सामग्री को प्रभु अरोगे पश्चात देश-विदेश के वैष्णव मंगाते हैं.
श्रीजी दर्शन:
- साज:
- साज सेवा में आज लाल रंग की मखमल की, सुनहरी लप्पा की ज़री की किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया पर श्वेत व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज प्रभु को लाल रंग की साटन का बिना किनारी का अड़तू का सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- र्ध्व भुजा की ओर सुनहरी किनारी से सुसज्जित कटि-पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण पन्ना तथा जड़ाव सोने के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल ज़री चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर सिरपैंच, उसके ऊपर-नीचे मोती की लड़, नवरत्न की किलंगी, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मिलवा पन्ना के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- पन्ना की चार मालाजी धराई जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- खेल के साज में आज लाल और गोटी स्वर्ण की छोटी पधरायी जाती है.
- आरसी शृंगार में छोटी सोना की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.
- सायंकालीन सेवा परिवर्तन
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- अनोसर में चीरा बड़ा करके छज्जेदार पाग धरायी जाती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: सोहेला नन्द महर घर
- राजभोग: चिरजीयो लाल रानी तेरो
- आरती: श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
- शयन: लाल के गुण गाऊं
- मान: हो तोसो कहां कहू आली री
- पोढवे: लाल लाडली समग ले पोढ़ीये
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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